बुधवार, 21 सितंबर 2016

मिटटी भी जहा की पारस उस शहर का नाम बनारस है



बनारस कोई शहर नहीं है न ये पहले कभी था न अब है न आगे होगा .... बनारस तो यहां के लोगो से है , यहाँ की मस्ती से है , यहां की सोच से है | बनारस दुनिया का सबसे पुराना और जीवित शहर है ,कहते हैं कि चौसठ योगिनियों, बारह सूर्य, छप्पन विनायक, आठ भैरव, नौ दुर्गा, बयालीस शिवलिंग, नौ गौरी, महारूद्र, चौदह ज्योर्तिलिंग, काशी में ही हैं। अतः महाज्ञानी जब तक काशी में अपने ज्ञान की परीक्षा नहीं देता, तब तक उसका ज्ञान अधूरा रहता है।

चना चबैना, गंगाजल जो पुरवै कर तार
काशी कबहूं न छोडि़ये विश्वनाथ दरबार।

बनारस के बारे में कहा जाता है कि जो यहां कुछ दिन रह गया उसका मन फिर दुनिया में कहीं नहीं लगता. मशहूर शहनाई वादक स्वर्गीय बिसमिल्ला खान से लेकर आईआईटी बनारस में प्रोफेसर रह चुके जानेमाने प्रर्यावरणविद डा वीरभद्र मिश्र को विदेशों में बेहतर सुख-सुविधाओं के साथ बसने के तमाम मौके मिले, लेकिन उन्होंने यह कर कभी बनारस नहीं छोड़ा कि उन्हें वहां “गंगा” कहां मिलेगी.

 बनारस में आज भी लोग दफ्तर और दूकान जाने के अलावा भी घर से बाहर निकलते हैं , चाय-पान की दूकान पर बतियाते मिल जाएंगे | यहां लोग अपना जीवन आराम और उल्लास से मानते हैं | काशीनाथ सिंह ने लिखा है जो मजा बनारस में वो न पेरिस में न फारस में। ...|जिस तरह से बनारस का पान, भांग, मिठाई, साड़ी, आम जगत विख्यात है, उसी तरह यहां की गप्पबाजी भी सारे जहां में प्रसिद्ध है। बनारस के गप्प में जो मजा है, वह सारे जहां के सच में नहीं है।

बनारस अपनी गंगा जमुनी तहजीब के लिए भी जाना जाता है यहाँ एक मस्जिद है लाटभैरो की मस्जिद जहा मस्जिद के बीच में एक मंदिर है मस्जिद में नमाज़ और मंदिर में पूजा एकसाथ होती है | . गांगा का आनन्द यहां के हिंदू ही नहीं मुसलमान भी उठाते हैं. गंगा के घाटों पर विचरण करते तमाम मुसलमान मिल जाएंगे. मशहूर शायर नजीर बनारसी को गंगा के घाट बहुत प्रिय थे. वे कहा करते थे कि ईश्वर उन्हें कभी बनारस से दूर न करे. तो बिसमिल्ला खान भगवान शिव के अराधक थे और विश्वनाथ मंदिर भगवान शंकर के दर्शन करने जाया करते थे. यह दुर्लभ उदाहरण केवल बनारस में ही मिल सकता है.

बनारस के बारे में अपनी पंक्ति में नीलभ उत्कर्ष लिखते है

‘’रईसों मलंगों की बस्ती बनारस
कई घाट गंगा गुज़रती बनारस ,
नहीं आपाधापी नहीं भागादौड़ी
यहाँ अल सुबह रोज़ छनती कचौड़ी
अजब सी है मस्ती यहाँ की ठहर में
ग़ज़ल अपनी काशी मुकम्मल बहर में

हर हर महादेव ...............

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